क्योंकि यह प्रश्न विभिन्न आयु समूह के व्यक्तियों द्वारा आता है और हर व्यक्ति की परिस्थिति: शारीरिक, मानसिक व सामाजिक एक सी होने की संभावना उतनी ही है; जितनी गधे के सिर पर फिर से सींग उगने की।
इसी विविधता का लाभ लेकर ढेरों मनी माइंडेड लोग कंसलटेंट की दुकान खोल कर शिकार ढूंढने लगते हैं।
तो इस लेख का उद्देश्य है कि:
आम बोलचाल की भाषा में एक सुव्यवस्थित संरचना तैयार की जाए, जिसके द्वारा अधिकांश लोग अपने बड़े हुए पेट व अस्वस्थ होते हुए शरीर की पुनःजागृति कर आत्मौत्थान* की ओर अग्रसर हो सकें।
वह भी बिना किसी कंसलटेंट या डॉक्टर या मार्केटिंग के चक्कर में फंसे।
विभिन्न आयु वर्ग के, और विभिन्न शारीरिक क्षमता के व्यक्ति; इसे प्रयोग कर सकें; इस प्रकार इसे बनाया गया है।
अब यहां पर सवाल उठता है कि क्या हम बचपन से ऐसे थे?
शायद जवाब आएगा; "नहीं"।
परंतु हमारी विभिन्न परिस्थितियों के चलते, एक लंबे समय अंतराल के बाद; जब आज हम अपनी तोंद पर दृष्टि डालते हैं; तो पता लगता है; कि इसका यह आकार; एक लम्बे अर्से से हमें आभास दे रहा था; अपनी आदतों को सुधारने के लिए।
परंतु सही ज्ञान के अभाव में व परिस्थितियों के चलते, हम कुछ कंक्रीट कर नहीं सके।
जिसके कारण यह परिस्थिति, आज हमारे सामने है।
तो अब शुरू करते हैं, इस चुनौती पर विजय पाने की कदम दर कदम; उपाय-योजना।
सबसे पहला काम हमें जो करना है वह है:
हमें अपनी डायरी में आज की हमारी परिस्थिति से संबंधित; कुछ चीजों का उल्लेख करना है। जिससे हमें अपनी प्रगति दिख सके।
स्मार्टफोन के जमाने में डायरी बहुत कम लोग रखते हैं; तो सुविधा के लिए यहां एक प्रपत्र संलग्न करता हूं; जिसे यदि आप अपने स्मार्टफोन से प्रतिदिन भरेंगे; तो आप अपनी प्रगति स्वयं देख सकेंगे।
इस प्रपत्र को भरने के पहले हमें इस पृष्ठ से "कमर और कूल्हों का अनुपात" के ऊपर उपलब्ध दोनो वीडियो को देखकर; यह क्या होता है; समझ लेना है।
इसके बाद "हमें अपनी नाड़ी और हृदय गति के बारे में चिंता करने की आवश्यकता क्यों है?" इस पर आधारित जानकारी का अध्ययन करना है इस पृष्ठ से।
यह क्यों जरूरी है?
हम आजकल मीडिया में देख रहे होंगे; कि कैसे कुछ जवान और विख्यात/ प्रख्यात लोग या तो जिम में या शादी समारोह में या खेल के मैदान में अचानक हृदयाघात के शिकार हो जाते हैं। और यह किवदंती बन जाती है, की शारीरिक श्रम करने वाले भी; कैसे धड़ाके से गिरकर मर रहे हैं।
हमें अपने वजन घटाने के चक्कर में ऐसी परिस्थितियों से बचाव का बंदोबस्त पहले ही करना है।
नाड़ी और हृदय गति के बारे में समझने के तुरंत बाद, हमें इस पेज से अपनी आज की स्थिति; और हमें किस ओर बढ़ना है इसका मार्गदर्शन पाने के लिए; वहां उपलब्ध चारों सारणियों से; अपनी उम्र के संदर्भ में आदर्श परिस्थितियों को जान लेना है।
अब शुरुआत करते हैं इस सत्य से साक्षात्कार करके, कि आज हम जो कुछ भी हैं; वह सब हमारे मुंह के रास्ते से जाने वाले पदार्थों का परिवर्तित स्वरूप ही है।
इसलिए सबसे पहले अपनी खाना खाने की आदत में सुधार हेतु शुरुआत करनी है।
हमें करना यह है, कि हम प्रतिदिन खाना खाने में जितना समय लगाते हैं? उसको हमें अपनी डायरी में आज नोट करना है।
फिर प्रतिदिन प्रयास पूर्वक अपने भोजन करने में लगने वाले समय में; कम से कम 5% की वृद्धि करनी है।
जैसे समझो आज हमें 20 मिनट अपना खाना खाने में लगता है, तो कल कोशिश करके सुबह, शाम दोनों समय के भोजन को 21:21 मिनट मैं; अधिक चबा चबा कर खाना है।
और इस प्रकार अगले 20 दिन तक प्रतिदिन एक-1 मिनट बढ़ाते हुए; अपने उसी (उतने ही) भोजन को; आज से 21वे दिन; हमें 40 मिनट में आज से अधिक बार चबा चबा कर; खाने की आदत डालनी है।
भोजन को चबा चबा कर खाने के अभ्यास के साथ ही साथ हमें पानी कैसे, कब और कितना पीना है? यह इस लेख द्वारा जान लेना है।
जब हम यह कर चुकें तो अगला कदम हमें यह उठाना है कि कल सुबह सोकर उठते ही; सबसे पहले अपने बाएं हाथ का अंगूठा उंगलियों के नीचे छुपा कर मुट्ठी बनाकर थोड़ा सा उसको आगे की तरफ करके (अर्थात उंगलियों के नाखुन आपकी तरफ होने की जगह बाहर की ओर हो जायें); अपने दाहिने हाथ की दो उंगलियां (तर्जनी और अनामिका) मुट्ठी वाले हाथ की कलाई पर, उसके अंगूठे (जहां आपके अंगूठे की मांसपेशियां आपकी कलाई में विलीन हो जाती हैं) की तरफ रखकर; अपने हृदय की गति नापनी है। बहुत जोर से न दबाएं।
इसे नापने के लिये अपने फोन की घड़ी में, ऊपर से दाहिनी ओर 'रेतघड़ी' जैसे टाईमर में ०० ०१ १० सैट कर चालू करें।
१० सेकंड में आप धड़कन वाला स्थान कलाई पर ढूंढ लेंगे। तथा जैसे ही वह १ ०० बताये, धड़कन गिनना आरम्भ करें; और जब तक अलार्म न बजे; धड़कन गिनते रहें।
इस प्रकार आपका हृदय, 60 सेकंड में कितनी बार धड़का; आपको समझेगा। उसे तुरंत इस प्रपत्र में भर लेना है।
अब इस टेबल में अपनी उम्र के अनुसार हमारी हृदय गति द्वारा परिलक्षित; हमारे स्वास्थ्य की स्थिति हमारी उम्र के अनुसार क्या है? (अधिकतम गति/ एथलैटिक/ उत्कृष्ट/ अच्छी/ औसत से बेहतर/ औसत/ औसत से बदतर/ खराब); इसे सुनिश्चित कर उसी प्रपत्र में भर लेना है।
सबसे पहले यह समझें, की हर बम को फटना नहीं होता है। पर यह सुनिश्चित है, कि वह जब भी फटेगा विध्वंस होने वाला है।
यदि हमारा कमर और कूल्हे का अनुपात भी, ऐसे ही खतरनाक स्थिति की ओर इंगित करता है; तो भी घबराना नहीं है। हमारे पास इच्छाशक्ति होने पर रिकवरी के शानदार उदाहरण हैं।
यह स्थिति नाजुक जरूर है; पर यदि हम सावधानी पूर्वक; जैसा बताया गया है; कदम दर कदम करेंगे; तो हम कुछ ही सप्ताह के अंदर; इस स्थिति से निश्चित रूप से बाहर निकलने वाले हैं।
यह बात याद रखने की है, कि हमने एक भी गलत कदम उठाया; तो फिर यह पेट पर बम बांधकर घूमने जैसा; साबित हो सकता है।
अब आते हैं इस पर, कि करना क्या है?
अपने आपको तौलकर, आपका जितना वजन है; उसे लिख लें।
उसका 3.5% निकालें, (अपना वजन किलोग्राम में X .035 = पानी की मात्रा लीटर में) और इतना पानी सुबह उठते ही से; सिप कर-कर के पी जायें; भले ही पूरा एक घंटा लग जाए इसमें।
इतना करने के बाद, अपना नित्य कर्म निबटाकर; छत पर चले जाएं खुली धूप में। ना चढ़ सकें तो किसी खुले स्थान जहां धूप और शुद्ध बहती हवा मिले वहां जायें।
इसके बाद:
एक बरमूडा (या न्यूनतम वस्त्र) डाल लें और सब कपड़े फेंक दें; फिर इन वीडियो-1; वीडियो-2, वीडियो-3 की एक्सरसाइज; अपनी क्षमता अनुसार; क्रमशः करनी शुरु करें। वीडियो की आवाज़ बन्द रखें।
यदि पहले वीडियो के व्यायाम न कर सकें तो दूसरे वीडियो के व्यायाम से शुरुआत करें। इससे शारीरिक क्षमता बड़ायें, फिर पहले वीडियो के व्यायाम कर शारीरिक क्षमता बड़ायें। जब बिना थके पहले वीडियो के व्यायाम पूरा कर सकें तब तीसरे वीडियो के व्यायाम शुरू करें।
प्रत्येक नए वीडियो की एक्सरसाइज शुरू करने से पहले और बाद में अपनी नाड़ी की परीक्षा करके लिख लें। यदि थकान महसूस हो, 1 मिनट एक्सरसाइज करने के बाद भी; तो तुरंत रोक कर, पहले नाड़ी की गति माप लें और टेबल (सहनशक्ति बनाएं ) से देखें कि वह हमारे लिमिट से बाहर तो नहीं जा रही है।
यदि वह बाहर जा रही है, तो हमें व्यायाम को वहीं पर रोक कर, आराम करने की जरूरत है; और खाने में मेथी दाने की सब्जी (सप्ताह में दो बार) और 5-7 कली कश्मीरी लहसुन की चबा चबा कर; आधा कप गर्म पानी की मदद से प्रतिदिन खा जाना है।
कोशिश करें अपना रोज का भोजन छोड़कर, भूक के अनुसार मौसमी देशी फल जैसे ककड़ी, खीरा, गाजर, मूली, आम, बेर इत्यादि से ही अपना पेट भरें; जब तक नाड़ी स्थिर न हो जाये। अर्थात जब तक हमारे व्यायाम का एक पूरा सैट किये बिना; थकान महसूस होना बन्द न हो जाये।
व्यायाम के लिये, खुले स्थान या छत पर, एक रबर/योगा मेट का प्रयौग करें।
रात को सोने के पहले बिस्तर पर पुनः रिपीट करें एक्सरसाइज; अपनी क्षमता अनुसार; नाड़ी की गति नापते हुए व सिर्फ दुसरी टेबल (सहनशक्ति बनाएं) से मिला कर लिमिट के अन्दर रहते हुए ही करना है।
क्योंकि यह हमारे शरीर की गंभीर तम परिस्थिति है, इसलिए हमें साधारण भोजन का कुछ दिनों के लिए त्याग कर; जब तक हमारी नाड़ी की गति इस कॉलम से ज्यादा बेहतर वाले कॉलम की तरफ ना बढ़ जाए; नीचे का खानपान अपनाना है।
आपकी उम्र, शारीरिक क्षमता अनुसार जब जितनी भूख महसूस हो तो मौसमी देशी फलों के साथ छाछ/मठा ही पीना है, जिसे कोई भी अपने घर पर ही बना सकता है; याद रखें इसे ताजा दही से बनाना है; फ्रिज़ के दही से नहीं।
आपको अगले कुछ दिन, जब जितनी भूख लगे; सिर्फ वही पीना है, व्यायाम करना है और थककर सो जाना है। नींद खुलते ही, फिर से व्यायाम करना है और थककर सो जाना है।
भूक महसूस हो तो छाछ/मठा ही पीना है। सिर्फ बिस्तर/रबर/योगा मेट और पेशाब-घर 3 ही ठिकानों पर अगले कुछ दिन (या जब तक आपकी सुबह की धड़कन टेबल के अनुसार "औसत से बदतर" वाले कॉलम पर न पहुंच जाये) बिताने हैं।
बाकी सारी गतिविधी, विशेष रूप से डायनिंग टेबल, टेलिविजन और स्मार्टफोन (विद्युत चुम्बकीय विकिरण); रसायन, प्रदूषक, और विषाक्त पदार्थ; ग्लूकौज़, फ्रक्टोज़, माल्टोज़, सुक्रौस़, कैलोरी की गणना व प्रोटीन जैसे सभी झमेलों से दूर ही रहना है।
प्रतिदिन प्रायः नियत समय जैसे सोकर उठने के बाद, स्नान के बाद, व्यायाम के दरम्यान, सोने के पहले; इत्यादि पर दिन में कई बार; दिल की धड़कन गिनकर इस प्रपत्र में भरें।
प्रतिदिन नियत समय पर (प्रायःसण्डास से निबटने के बाद) तोंद की परिधि मापकर इस प्रपत्र में भरें।
अब आते हैं, यदि हमारे हृदय की स्थिति उस टेबल के अनुसार "औसत से बदतर" है तो करना क्या है?
ऊपर बताये अनुसार सब करने के अलावा, इस वीडियो की एक्सरसाइज करनी शुरु करें।
वीडियो की आवाज़ बन्द रखें।
एक्सरसाइज शुरु करने के तुरन्त पहले व पहिला सैट पूरा करने के तुरन्त बाद और उसके बाद के प्रत्येक सैट के बाद; दिल की धड़कन गिनकर इस प्रपत्र में भरें।
दिल की धड़कन के अनुसार व्यायाम की आवृत्ति "सहनशक्ति बनाएं टेबल " की मदद से कम या ज्यादा करें।
अब आते हैं, यदि हमारे हृदय की स्थिति उस टेबल के अनुसार "औसत" है तो करना क्या है?
ऊपर बताये अनुसार सब करने के अलावा इन वीडियो-1, वीडियो-2 की एक्सरसाइज करनी शुरु करें।
वीडियो की आवाज़ बन्द रखें।
एक्सरसाइज शुरु करने के तुरन्त पहले व पहिला सैट पूरा करने के तुरन्त बाद और उसके बाद के प्रत्येक सैट के बाद; दिल की धड़कन गिनकर इस प्रपत्र में भरें।
दिल की धड़कन के अनुसार व्यायाम की आवृत्ति "सहनशक्ति बनाएं टेबल " की मदद से कम या ज्यादा करें।
अब आते हैं, यदि हमारे हृदय की स्थिति उस टेबल के अनुसार "औसत से बेहतर" है तो करना क्या है?
ऊपर बताये अनुसार सब करने के अलावा इस वीडियो की एक्सरसाइज करनी शुरु करें।
वीडियो की आवाज़ बन्द रखें।
एक्सरसाइज शुरु करने के तुरन्त पहले व पहिला सैट पूरा करने के तुरन्त बाद और उसके बाद के प्रत्येक सैट के बाद; दिल की धड़कन गिनकर इस प्रपत्र में भरें।
दिल की धड़कन के अनुसार व्यायाम की आवृत्ति "सहनशक्ति बनाएं टेबल " की मदद से कम या ज्यादा करें।
अब आते हैं, यदि हमारे हृदय की स्थिति उस टेबल के अनुसार "अच्छी" है तो करना क्या है?
ऊपर बताये अनुसार सब करने के अलावा इस वीडियो की एक्सरसाइज करनी शुरु करें।
एक्सरसाइज शुरु करने के तुरन्त पहले व पहिला सैट पूरा करने के तुरन्त बाद और उसके बाद के प्रत्येक सैट के बाद; दिल की धड़कन गिनकर इस प्रपत्र में भरें।
दिल की धड़कन के अनुसार व्यायाम की आवृत्ति "फेफड़ों की क्षमता बढ़ाएँ टेबल " की मदद से कम या ज्यादा करें।
अब आते हैं, यदि हमारे हृदय की स्थिति उस टेबल के अनुसार "उत्कृष्ट" है तो करना क्या है?
ऊपर बताये अनुसार सब करने के अलावा इस वीडियो की एक्सरसाइज करनी शुरु करें।
एक्सरसाइज शुरु करने के तुरन्त पहले व पहिला सैट पूरा करने के तुरन्त बाद और उसके बाद के प्रत्येक सैट के बाद; दिल की धड़कन गिनकर इस प्रपत्र में भरें।
दिल की धड़कन के अनुसार व्यायाम की आवृत्ति "फेफड़ों की क्षमता बढ़ाएँ टेबल " की मदद से कम या ज्यादा करें।
आत्मोत्थान का मतलब:
तनावमुक्त हृदय गति को न्यूनतम की ओर ले जाते हुए, हमें आवंटित धड़कनों को; शताधिक वर्ष मितव्ययिता पूर्वक उपयोग करते; परिवार, समाज, मानवता के हितार्थ; कर्मौन्मुख रहना।